Saudi Arab – Saudi अरब सरकार ने रमजान महीने में उमराह को लेकर नई गाइडलाइन जारी की थी जिसमें नए दिशानिर्देश के तहत रमजान के दौरान जायरीन सिर्फ एक बार ही उमराह कर सकते थे। इसके अलावा सरकार ने उमराह के लिए तय समय सीमा के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा था कि सभी हाजी उमराह के लिए नुसुक ऐप से जरूर परमिट जारी करवाएं. हज और उमराह मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश में कहा था कि रमजान के महीने में कोई भी जायरीन सिर्फ एक ही बार उमराह कर सकते हैं. Saudi अरब सरकार ने कहा कि रमजान में दो बार उमराह करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऐसे में अब रमजान ख़त्म हो चूका है तो ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या यह नियम अभी भी लागु है
नुसुक ऐप से ले परमिट
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सऊदी अरब में हज और उमरा मंत्रालय के अनुसार, रमजान के पवित्र महीने के बाद उमराह अनुष्ठान करने की अनुमति प्राप्त करने की बाध्यता अभी भी प्रभावी रहेगी । यह मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर एक पूछताछ के जवाब में आया, जिसमें पूछा गया था कि क्या रमजान के बाद भी उमराह परमिट की आवश्यकता है?इसका जवाब देते हुए, हज और उमराह मंत्रालय ने कहा कि, अभी भी उमरा अनुष्ठान करने के लिए, नुसुक या तवक्कलना प्लेटफार्मों से एक परमिट प्राप्त करना होगा, इस शर्त के साथ कि आवेदक संक्रमित नहीं है या किसी कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं है। हज मंत्रालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि तीर्थयात्री और आगंतुक अपने प्रवास और उनकी वैध अवधि के दौरान मक्का और मदीना और सऊदी अरब के सभी शहरों के बीच घूम सकते हैं।
इससे पहले, हज और उमराह मंत्रालय ने मक्का अल-मुकर्रमा में आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को परमिट में निर्दिष्ट समय के दौरान और वीजा की वैधता के दौरान उमराह अनुष्ठान करने के लिए बुलाया था। मंत्रालय ने आगे बताया कि यात्रा वीज़ा, जो 90 दिनों तक विस्तारित होता है, में हज अनुष्ठानों का प्रदर्शन शामिल नहीं है। तीर्थयात्री को हज करने के लिए या तो हज वीजा, सऊदी नेशनल आईडी या रेजिडेंट परमिट (इकामा) और हज परमिट (तशरीह) की आवश्यकता होती है।प्राधिकरण ने समझाया कि आगंतुक को उमराह अनुष्ठानों को पूरा करने और वीजा की वैधता समाप्त होने से पहले किंगडम छोड़ने के लिए सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।
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उमराह स्वैच्छिक
उमराह स्वैच्छिक और सुन्नत है जबकि हज शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमानों पर फर्ज है. हज इस्लाम के पांच सतूनों में से एक है. जिंदगी में एक बार उन्हें मक्का-मदीना जाकर हज करना जरूरी होता है. हज इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की 8-13 तारीख के बीच किया जाता है जबकि उमराह के लिए समय की बाध्यता नहीं है. कभी भी मक्का में जाकर किया जा सकता है.
दुनिया का कोई भी मुसलमान कभी भी उमराह कर सकता है. उमराह कम समय के अंदर तेजी से किया जानेवाला आध्यात्मिक अमल है. जबकि हज कई दिनों तक चलनेवाली लंबी प्रक्रिया का नाम है. दुनिया में हज के मौके पर सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठा होती है. हज और उमराह करनेवाले तीर्थयात्रियों को काबा के इर्द गिर्द चक्कर लगाना होता है. काबा के महत्व का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि दुनिया के मुसलमान इसकी दिशा में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं.