सऊदी अरब की वजह से , यमन में 9 साल बाद खत्म होगी जंग

Saudi Arab – सऊदी अरब की वजह से यमन में 2014 से जारी गृह युद्ध खत्म हो सकता है। दरअसल इसके लिए सऊदी अरब और ओमान के एक डेलीगेशन ने रविवार को यमन में हूती विद्रोहियों से बातचीत की है। अलजजीरा के मुताबिक दोनों पक्ष सीज फायर को लेकर समझौता कर सकते हैं। ये बातचीत पिछले महीने सऊदी अरब और ईरान के बीच हो चुके शांति समझौते का नतीजा मानी जा रही है। सऊदी और ओमान के डेलीगेशन ने यमन के सबसे ज्यादा हिस्से में कब्जा करने वाले हूती विद्रोहियों के हेड मेहदी अल मशत से मुलाकात कर बातचीत की। दोनों पक्षों ने यमन में शांति स्थापित करने पर जोर दिया।

सउदी डेलीगेशन और हूती विद्रोहियों के बीच हुई डील क्या हुई है इसको सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि, बीबीसी के मुताबिक इससे जुड़ी कई बातें सूत्रों के हवाले से बाहर आई हैं। जिसके अनुसार 9 साल तक चली जंग के बाद मिलकर देश को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को वेतन दिया जाएगा। सारे एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों को खोल दिया जाएगा। देश से सारी बाहरी ताकतों को निकाला जाएगा। राजनीतिक स्थिरता के लिए बदलाव किए जाएंगे।

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सऊदी और ईरान की दोस्ती का असर

यमन में 9 सालों से जंग चल रही है जिसको जारी रखने में सऊदी अरब और ईरान दो महत्वपूर्ण ताकतें हैं। यमन की सरकार को जहां सऊदी का समर्थन है वहीं हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है। ऐसे में अगर ईरान और सऊदी के बीच बातचीत होती है और उनके रिश्ते सुधरते हैं तो यकीनन इसका असर यमन की जंग पर पड़ना तय माना जा रहा था। 11 मार्च को चीन की राजधानी बीजिंग में ईरान और सऊदी अरब के बीच महत्वपूर्ण समझौता हुआ। 2016 के बाद दोनों ने एक-दूसरे के मुल्क में अपनी-अपनी एम्बेसी फिर खोलने के लिए राजी हो गए। इससे दोनों देशों के बीच सात साल से जारी टकराव कम हुआ। दरअसल, सात साल पहले सऊदी अरब ने ईरान के लिए जासूसी के आरोप में 32 शिया मुसलमानों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था। इसमें 30 सऊदी अरब के ही नागरिक थे। ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी। ये सभी जेल में हैं।

जिसके बाद, सऊदी अरब ने ड्रग स्मगलिंग के आरोप में ईरान के तीन नागरिकों को सजा-ए-मौत दे दी। दोनों देश जंग की कगार पर पहुंच गए। इस दौरान अमेरिका सऊदी की मदद के लिए आया। सऊदी और ईरान के बीच समझौता करवा कर चीन ने यमन में जंग खत्म करने के लिए रास्ता खोल दिया।

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शिया और सुन्नी विवाद में गृह युद्ध

साल 2014 में यमन में गृह युद्ध की शुरुआत हुई। इसकी जड़ शिया और सुन्नी विवाद है। दरअसल यमन की कुल आबादी में 35% की हिस्सेदारी शिया समुदाय की है जबकि 65% सुन्नी समुदाय के लोग रहते हैं। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद रहा था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत हुई तो यह विवाद गृह युद्ध में बदल गया। 2014 आते-आते शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का। देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।

 

 

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