Gaya: पितृ पक्ष में पिंडदान तो देश के कई स्थानों पर किया जाता है, लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का अलग ही महत्व है। दरअसल गया धाम यह मान्यता है कि पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गया में किए गए पिंडदान की महिमा का गुणगान भगवान राम ने भी किया है। ऐसा कहा जाता है कि यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था। गरुड़ पुराण के अनुसार इस स्थान पर पिंडदान करने पर पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। स्वयं श्रीहरि भगवान विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है।
गया जी में पिंडदान का विशेष महत्व
पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गया जी में पिंडदान का विशेष महत्व है इस स्थान पर हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग आते है जो अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से मृत आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही उसकी आत्मा को मोक्ष मिलता है। गया जी में वैसे तो पूरे साल पिंडदान किया जाता है, लेकिन पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने का अलग महत्व शास्त्रों में बताया गया है। पितृपक्ष प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी के दिन से प्रारम्भ होता है जो आश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। बताया कि गया के विष्णुपद मंदिर में शमी वृक्ष के एक एक पत्ते के बराबर अगर अन्न का दाना पितरों के लिए रख दिया जाए तो सात गोत्र और 101 कूल का उद्धार हो जाता है।
पिंडदान का शुभदिन
वैसे तो गया जी में पिंडदान पूरे साल किया जा सकता है, लेकिन श्राद्ध या पिंडदान का शुभ 17 दिन पितृपक्ष मेला या 7 दिन, 5 दिन, 3 दिन, 1 दिन या कृष्ण पक्ष के साथ किसी भी महीने में अमावस्या पर करना बेहतर है। 17 दिनों का पितृ पक्ष श्राद्ध या पितृपक्ष मेला, दिवंगत पूर्वजों या परिवार के किसी भी दिवंगत सदस्य को अर्पण करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष 28 सितंबर से शुरू हो रही है जो 14 अक्टूबर तक रहेगी।