आजादी के बाद बिना महरम रिकॉर्ड तोड़ महिला पहुंचेंगी हज , हो गई है पूरी तैयारी

Saudi Arab – सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए इस बार भी लाखों मुसलमान जमा होंगे. लेकिन इस बार हज में एक ख़ास बात होगी और वो ये कि पिछले वर्षों के मुक़ाबले ज़्यादा संख्या में महिलाएं बिना किसी महरम के हज यात्रा करेंगीं. इस्लाम में महरम वो पुरुष होता है जो महिला का पति हों या ख़ून के रिश्ते में हो.

हज कमेटी ऑफ़ इंडिया (एचसीओआई) के एक अधिकारी ने एक मिडिया चैनल को नाम न बताने की शर्त पर बताया कि नियमों में बदलाव के बाद इस बार हज यात्रा पर जाने वाली अकेली 4314 महिलाओं ने अर्ज़ी दी है. वर्ष 2018 में भारत से पहली बार 45 वर्ष से ऊपर के महिलाएं हज पर गई थीं. उस वर्ष 29 राज्यों में से 1308 से मुस्लिम महिलाओं ने इसके लिए आवेदन किए थे.

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक ज़िया-उस-सलाम का कहना है कि सऊदी अरब महिलाओं को लेकर कई सुधार कर रहा है. ये क़दम महिलाओं के लिए काफ़ी सकारात्मक हैं. बातचीत में ज़िया-उस-सलाम कहते हैं, “हर बालिग़ महिला को हज यात्रा का अधिकार मिलना चाहिए. सऊदी अरब में बालिग़ की जो भी परिभाषा है उसके आधार पर उन सभी महिलाओं को हज जाने की स्वीकृति मिलनी चाहिए.”

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आज़ादी के बाद 2018 में पहली भारत ने महरम की अनिवार्यता हटाई थी. 2018 से लेकर अब तक कुल 3,401 महिलाएं बिना पुरूष रिश्तेदार के हज यात्रा कर चुकी हैं. वर्ष 2020 और 2021 में 2,980 महिलाओं ने इस श्रेणी के तहत आवेदन किया था. लेकिन कोविड की वजह से वे हज नहीं कर पाई हैं.

एचसीओआई के अधिकारी ने बताया कि पहले महिलाएं महरम के साथ ही जा सकती थी लेकिन सऊदी अरब के हज नियमों में बदलाव के बाद महिलाओं को अकेले जाने की अनुमति मिली थी. पिछले सालों के अनुभव के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है. शायद यही कारण है कि अब की बार महिलाएं बड़ी तादाद में जा रही हैं और आगे भी संख्या बढ़ेगी.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वेबसाइट पर छपी जानकारी के मुताबिक़ भारत सरकार और सऊदी अरब हर साल हज यात्रा को लेकर सहमति पर हस्ताक्षर करते हैं जिसमें भारत को मिलने वाली सीट या कोटा के बारे में भी जानकारी दी जाती है. भारत सरकार को हज यात्रियों को जो कोटा मिलता है उसमें से 80 फ़ीसदी सीट हज कमेटी आफ़ इंडिया(एचसीओआई) और 20 फ़ीसदी निजी हज ग्रूप ऑग्रेनाइज़र्स(एचजीओएस) को मिलती हैं. दअसल सऊदी अरब हर देश के हिसाब से कोटा तय करता है जिसमें सबसे ज़्यादा कोटा इडोनेशिया का होता है इसके बाद पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया का नंबर आता है. इसके अलावा ईरान, तुर्की, मिस्त्र, इथियोपिया समेत कई देशों से हज यात्री आते हैं.

क्या दुबारा जा सकते है हज ?

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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वेबसाइट पर छपी जानकारी के मुताबिक़ जो लोग एचसीओआई के ज़रिए हज पर गए हैं वो दोबारा आवेदन नहीं दे सकते हैं. लेकिन अगर वे महरम के तौर पर जा रहे हैं या 70 वर्ष से ऊपर किसी व्यक्ति के साथ जा रहे हैं तो दोबारा आवेदन दे सकते हैं और उन्हें नियमों के मुताबिक़ फ़ीस देनी होगी. अगर कोई महिला और 70 से ऊपर कोई हज यात्री ऐसे व्यक्ति को सहयोगी या महरम के तौर पर लेकर जा रहे हैं तो उन्हें ये अंडरटेकिंग देकर घोषित करना होगा कि उनके परिवार में पहली बार जाने वाला कोई सहयोगी या महरम नहीं है.

ये घोषणा पत्र हज यात्री और सहयोगी दोनों को देना होगा.अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अनुसार हज नीतियों के मुताबिक़ 45 वर्ष से ज़्यादा उम्र की महिलाएं जिनके पास महरम ना हों वो चार या उसके अधिक संख्या में महिलाओं के समूह के साथ हज पर जा सकती हैं. सऊदी अरब के अनुसार अकेली महिला भी इसके लिए आवेदन दे सकती है और इन महिलाओं के समूह का गठन एचसीओआई कर सकता है.

हज पर जाने के लिए दिशा निर्देश

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हज यात्रियों को वित्तीय और शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होने के साथ ही उनके व्यवहार भी उपयुक्त होना चाहिए.

बिना उपयुक्त दस्तावेज़ के कोई व्यक्ति हज यात्रा नहीं कर सकता है.

अगर कोई व्यक्ति ग़लत जानकारी देता है तो उसे हज पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

18 साल से कम उम्र के हज यात्रियों के लिए अभिभावकों या गार्जियन की सहमति लेना अनिवार्य होगा.

जिस व्यक्ति को कोर्ट ने विदेश यात्रा करने पर रोक लगाई है वो हज यात्रा के लिए आवेदन नहीं दे सकता.

वहीं अगर कोई कैंसर, लीवर, किडनी या संक्रामक रोग आदि से पीड़ित है तो वो भी हज यात्रा नहीं कर सकते हैं.

 

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