RBI: आरबीआई ने पिछले जुलाई के महीने में कई बैंकों को बंद किया. बैंकों ने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन किया था जिसके चलते बैंकों के लाइसेंस को रद्द किया था. RBI ने हाल ही में को-ऑपरेटिव राबोबैंक यू.ए. पर नियमों का अनुपालन नहीं करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
जुलाई के महीने में पीएमसी और लक्ष्मी विलास, कर्नाटक के तुमकुर में स्थित श्री शारदा महिला सहकारी बैंक और महाराष्ट्र में सतारा स्थित हरिहरेश्वर सहकारी जैसे बैंकों के ग्राहकों को लाइसेंस रद्द होने के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. अभी भी देश में कई को-ऑपरेटिव बैंकों को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है.
लगातार ऐसी ख़बरों को देख कर बैंक ग्राहकों के मन में सवाल उठ रहा है कि अगर उनका बैंक डिफॉल्ट करता है या डूब जाता है तो उनके जमा किये गये पैसे का क्या होगा. उनके द्वारा जमा कि गयी राशि सुरक्षित है या नहीं और बैंक बंद होने पर उन्हें कितना पैसा वापस मिलेगा.
क्या कहता है DICGC एक्ट
केंद्र सरकार ने साल 2020 में डिपॉजिट इंश्योररेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट. में बदलाव किया था. इसके बाद बैंक में जमा राशि की गारंटी पांच लाख रुपये हो गई.
DICGC, भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है। सभी कमर्शियल और को—ऑपरेटिव बैंकों का DICGC से बीमा होता है। इस बीमे के तहत जमाकर्ताओं को 5 लाख तक की बैंक जमा पर सुरक्षा की गारंटी मिलती है। DICGC के कवरेज में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक व कोऑपरेटिव बैंक कवर्ड हैं, चाहे उनकी ब्रांच भारत में हो या विदेश में।
आपको बता दें इससे पहले खाताधारकों को अधिकतम एक लाख रुपये तक जमा की गारंटी दी जाती थी. यानी अगर आपके अकाउंट में जमा कि गयी राशि 5 लाख तक है तो आपकी जमा राशि सेफ है. यानी कि जिस बैंक के अकाउंट में आपने अपने पैसे जमा कराए है और वह डूब जाता है तो पांच लाख रुपये की राशि आपको वापस मिल जाएगी.
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अगर बैंक में पांच लाख से अधिक जमा हो तो क्या
बैंक डिपॉजिट पर 5 लाख रुपये की सुरक्षा गारंटी से मतलब यह है कि ‘किसी बैंक में आपकी चाहे जितनी ज्यादा रकम जमा हो लेकिन यदि बैंक के डिफॉल्ट या डूबने पर आपको 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे.’
यदि एक ही बैंक की कई ब्रांच में आपके अकाउंट हैं और उनमें जमा राशि पांच लाख से ज्यादा है तो भी सिर्फ पांच लाख रुपये ही वापस मिलेंगे. यानी आपकी 5 लाख रुपये तक जमा राशि ही इंश्योयर्ड होगी.
सरकार करती है बैंकों कि मदद
हालांकि, एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर कोई बैंक परेशानी में होता है तो सरकार उस बैंक को जल्दी डूबने नहीं देती, उस बैंक कि मदद के लिए सरकार उस बैंक का मर्जर किसी बड़े बैंक के साथ कर देती है. लेकिन यदि फिर भी कोई बैंक डूब जाता है तो डीआईसीजीसी सभी खाताधारकों को पैसे वापस करने के लिए जिम्मेदार होता है. डीआईसीजीसी इस राशि की गारंटी लेने के लिए बैंकों से बदले में प्रीमियम लेता है.