Raksha Bandhan Date : रक्षाबंधन के लिए अब बस एक दिन बाकी है ऐसे में कई लोगो के मन में इस चीज को लेकर सवाल है कि रक्षाबंधन कब मनाया जाए क्योंकि रक्षाबंधन पर भद्रा की छाया है। जिस कारण भाई बहन के त्योहार की तिथि को लेकर आम जनमानस में असमंजस की स्थिति है।
ऐसे में इस त्यौहार को लेकर काशी के विद्वानों का मानना है कि इस बार रक्षाबंधन पर 200 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है, जब गुरु और शनि ग्रह का शुभ प्रभाव रहेगा। इस बार रक्षाबंधन पर शनि और गुरु ग्रह वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में विराजमान रहेंगे। 24 साल बाद रक्षाबंधन पर रवि योग के साथ बुधादित्य योग और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है जो कि समृद्धिदायक और राजयोग का लाभ देने वाला है।
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। ऐसे में श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा इस साल 30 अगस्त के दिन है जो कि 10:12 से प्रारंभ हो रही है किंतु 10:12 से भी मृत्यु लोक पर भद्रा हो रही है। इस कारण से रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा काल में निषेध है।
अतः रक्षाबंधन का का त्यौहार 30 अगस्त को रात करीब 8:58 के बाद ही मनाया जाएगा। क्योंकि मीन लग्न है और मीन का स्वामी गुरु है, रक्षाबंधन के पावन पर्व के साथ में ब्राह्मणों के लिए एवं यजुर्वेद का जो श्रावणी उपाकर्म है वह 31 अगस्त को रहेगा। चूंकि रक्षाबंधन देव कार्य है और दिन में ही करना उचित रहता है परंतु दिनगत कर्म के संबंध में धर्मसिंधु व नागदेव का वचन है कि किसी कारणवश दिन के कर्म,यदि दिन में ना किया जा सके तो रात्रि के प्रथम प्रहर तक अवश्य कर लेने चाहिए।
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ज्योतिषाचार्य प्रो. रामचंद्र पांडेय के अनुसार
ज्योतिषाचार्य प्रो. रामचंद्र पांडेय ने धर्मसिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथों का उल्लेख करते हुए बताया कि यदि पूर्णिमा का मान दो दिन का प्राप्त हो रहा है तो पहले दिन सूर्योदय के एक घटी के बाद पूर्णिमा की शुरुआत होकर दूसरे दिन पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही हो तो पूर्व दिन में भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन मनाना चाहिए। 31 अगस्त को पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही है। 30 अगस्त को नौ बजे रात तक भद्रा है, इसलिए 30 अगस्त को रात्रि के 9 बजे] के बाद रक्षाबंधन करना शास्त्र सम्मत होगा।