Nag Panchami 2023: सावन का सोमवार चल रहा है ऐसे में सावन के अंतिम सोमवारी से पहले वाला सोमवारी 21 अगस्त को था। इस दिन नागपंचमी भी थी। वही नागों को भगवान शिव का शृंगार कहा जाता है जो की भगवान शिव के गले में धारण करते हैं। और नागपंचमी के दिन सोमवारी पड़ा तो पटना के एक मंदिर में शिवलिंग के हर तरफ नागों का डेरा जम गया। यहीं एक शिवलिंग बर्फ से बना तो एक शिवलिंग में अर्द्धनारीश्वर रूप का शृंगार हुआ। सोमवार को जो लोग महादेव के इन दिव्य शृंगार रूप को देखने से चूक गए हैं, वह यहां पटना के मंदिरों की दिव्य पूजा देख सकते हैं।
झाउगंज के पीतल महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़
दरअसल पटना सिटी के झाउगंज में पीतल महादेव मंदिर स्थित है। जहाँ सोमवार को नागपंचमी के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ी थी लेकिन किसी भी भक्त की शिवलिंग तक पहुंचने की हिम्मत नहीं हुई ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर में शिवलिंग पर नाग लिपटे हुए थे। इतना ही नहीं यहाँ शिवलिंग के पास कुछ नाग आसपास लोट रहे थे। नागपंचमी के साथ सोमवारी का संयोग देखकर मंदिर ने यह अनूठी तैयारी की थी। मंदिर में शिवलिंग के चारों तरफ शीशे की दीवार बना दी गई थी, ताकि लोग देख तो सकें लेकिन सांपों से छेड़छाड़ नहीं कर सकें या उनतक पहुंचने का प्रयास नहीं कर सकें।
बाबा बर्फानी प्राकृतिक रूप से आते है नजर
पटना के बीएनआर रोड स्थित अलखिया बाबा मंदिर में शिवलिंग को पूरी तरफ बर्फ से ढंककर उसपर गुलाब और बेलपत्र से शृंगार किया गया। अंतिम से पहले वाली इस सोमवारी पर नागपंचमी भी पड़ा, इसलिए रूद्राभिषेक के साथ महिला कीर्तन और भव्य आरती-भंडारे की व्यवस्था की गई। वही लोगो ने कहा कि उन्होंने यहाँ महादेव के शिवलिंग का दर्शन करते हुए बाबा बर्फानी को भी अपने करीब पाया। लोगो का कहना है कि बाबा बर्फानी प्राकृतिक रूप से नजर आते हैं, हालांकि यहां भक्तों ने अपनी भक्ति से उन्हें साकार किया था।
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सावन की अंतिम सोमवारी से पहले पटना के गायघाट में महादेव का अर्धनारीश्वर रूप में पूजा किया गया। गायघाट के गौरीशंकर मंदिर में भष्म और चंदन से अर्धनारीश्वर का शृंगार किया गया। भक्तों ने भगवान के इस शृंगार को अलग-अलग तरह की रोशनी में निहारा और देर शाम तक भजन करते रहे।