UAE – क्या आप जानते है की कभी एक रेत के मैदान से ज्यादा कुछ नहीं हुआ करता था दुबई, फिर कैसे बन गया इतना अमीर,. आप में से कइयों का जबाब होगा की दुबई में तेल के कच्चे माल की खोज के बाद से दुबई आज यहां तक पहुँच गया है। तो आप गलत है क्या दुबई की शोहरत से भड़ी दुबई बनने की कहानी चलिए बताते है।
आज के वक्त में दुबई दुनिया भर के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. एक वक्त था जब दुबई (Dubai) में दूर दूर तक बस रेत के मैदान ही हुआ करते थे. दरअसल दुबई की विकसित होने की एक कहानी है, जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं आखिर दुबई ने ऐसा क्या किया कि आज वह दुनिया भर में फेमस हो गया है? वैसे तो बहुत सारे लोगों को लगता है कि दुबई आज जो कुछ है उसकी वजह है कच्चा तेल, जिसके दम पर दुबई इतना डेवलप हो गया है. खैर, जानकारी के लिए आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. अब सवाल ये है कि अगर तेल से दुबई अमीर नहीं बना तो फिर वो क्या है, जिसकी मदद से आज दुनिया इतना लग्जरी डेस्टिनेशन (How Dubai Become Rich) बन गया है? आइए जानते हैं एक रेगिस्तान के दुबई बनने की कहानी.
दुबई लग्जरी डेस्टिनेशन बनने के पीछे शेख राशिद बिन सईद अल मकतूम और उनके बेटे शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम का हाथ है. दुबई के विकास तब से शुरू हुआ जब ओमान और इराक जैसे दुबई के आस-पास के इलाकों के लिए दुबई एक कनेक्टिविटी रूट की तरह सामने आया. एक ट्रेडिंग प्वाइंट बनने से पहले तक दुबई सिर्फ मोती पैदा करने और मछली के बिजनेस के लिए जाना जाता था. ट्रेडिंग प्वाइंट बनने के बाद दुबई दुनिया की नजर में आने लगा.
दुबई में तेल का भंडार मिला तो आर्थिक सहायता मिली
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दुबई में तेल का भंडार मिला तो आर्थिक सहायता मिली। 1950 के दशक में दुबई में तेल की खोज हुई थी , जिसके बाद दुबई समेत पूरे यूएई की इकनॉमी तेजी से बढ़ने लगी. हालांकि, कुछ ही वक्त में दुबई को ये समझ आ गया था कि सिर्फ तेल के सहारे लंबे वक्त तक देश को चला पाना मुमकिन नहीं है. इसके बाद तेल से निर्भरता को हटाते हुए मॉडर्न दुबई बनाने के लिए शेख राशिद बिन सईद अल मकतूम ने अहम कदम उठाए गए. उन्होंने 1958 में दुबई की सत्ता संभाली और करीब 32 सालों तक राजा बने रहे.
जब शेख राशिद ने संभाली दुबई की बागडोर जब राशिद बिन सईद के हाथ दुबई की कमान गई उस वक्त मछली और मोती का बिजनेस लगभग ठप हो चुका था और पूरी इकनॉमी तेल के निर्यात पर निर्भर थी. राशिद बिन सईद की एक बात को अक्सर ध्यान दिया जाता है. उन्होंने कहा था- मेरे पिता ऊंट की सवारी करते थे, मैं मर्सिडीज चलाता हूं, मेरा बेटा लैंड रोवर चलाता है, उसका बेटा लैंड रोवर चलाएगा, लेकिन उसका बेटा ऊंट की सवारी करेगा. यानी उनका कहने का ये मतलब था कि तेल का खजाना लंबे वक्त तक देश को आगे नहीं ले जा पाएगा.
राशिद बिन सईद ने कमाई के दूसरे तरीकों पर फोकस करना शुरू किया. वह सीधे पहुंचे ट्रेडिंग पोर्ट पर और उसे डेवलप किया. वहां पर एक ड्राईडॉक भी बनाया, जहां तमाम शिप रिपेयर किए जाते थे. उस वक्त तक आस-पास के देशों में यह पहला ऐसा डॉक था. उसके बाद पोर्ट के आस-पास के इलाकों को विकसित किया और उसकी पूरे दुबई से कनेक्टिविटी का इंतजाम किया.
उन्होंने 1975 कनेक्टिविटी के मकसद से अल शिंदघा टनल बनानी शुरू की, जिससे इंटरनल कनेक्टिविटी आसान हो गई. स्काई स्क्रैपर भी बनाए गए 1979 में उन्होंने दुबई में होने वाले इवेंट्स के लिए एक स्काई स्क्रैपर बनाने का फैसला किया. बता दें कि जिस बिल्डिंग की ऊंचाई 490 फुट से अधिक होती है, उसे स्काईस्क्रैपर कहा जाता है. इसके बाद 39 मंजिला दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बनाया गया, जो खूब फेमस हुआ
दुबई को अमीर बनाने का एक बड़ा क्रेडिट जाता है कमर्शियल फ्री जोन को,
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दुबई को अमीर बनाने का एक बड़ा क्रेडिट जाता है कमर्शियल फ्री जोन को, जिसे 1990 में बनाया गया था. बता दें कि कमर्शियल फ्री जोन उसे कहते हैं, जहां पर इंपोर्ट, री-एक्सपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग, हैंडलिंग और सामान को स्टोर करने पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लगाई जाती है. इस तरह तमाम कंपनियों के लिए यह इलाका स्वर्ग जैसा हो गया, जहां उन्हें अपनी मेहनत पर ढेर सारा रिटर्न मिलने लगा. शेख राशिद ने ही यूएई के सारे एमीरेट्स को यह सुझाव दिया कि उनकी एक कॉमन करंसी होनी चाहिए. इससे लोकल यूएई करंसी को मजबूत बनाने में मदद मिली और आज उसे हम दिरहम के नाम से जानते हैं.
शेख मोहम्मद के हाथ सत्ता आते ही सब बदल गया उसके बाद दुबई की सत्ता आई शेख मोहम्मद राशिद बिन सईद अल मकतूम के हाथ. वह भी अपने पिता की तरह की दूरदर्शी थे , लेकिन उन्होंने दुबई को अपने पिता से भी ज्यादा डेवलप किया. उन्होंने भी अपने पिता की तरह ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी को बेहतर करने की दिशा में खूब काम किया. जहां उनके पिता ने पानी के ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया, उन्होंने हवाई ट्रांसपोर्ट को बढ़ाने का काम किया और एमिरेट्स एयरलाइन की शुरुआत की. 1989 में उन्होंने दुबई एयर शो की शुरुआत की, जो अब दुनिया भर में फेमस है.
शेख मोहम्मद असल में दुबई को एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाना चाहते थे. इसकी शुरुआत उन्होंने की तमाम बड़े-बड़े होटल बनाने से. 1999 में दुबई में बुर्ज अल अरब होटल बनाया गया, जो दुनिया का पहला 7 स्टार होटल बना . इसके बाद एक के बाद एक दुबई में ढेर सारे लग्जरी होटलस बनाए गए . दुनिया भर से लोग यहां होटल का मजा लेने आते हैं. अगर दुबई के टूरिज्म की बात करें तो यह सालाना करीब 20 अरब डॉलर का बिज़नेस करता है और इसके पीछे दुबई के लग्जरी होटलों का अहम योगदान है.
दुबई में मॉडर्न चिड़ियाघर, मॉडर्न गैलरी और स्काई डाइविंग, लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र
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आज के वक्त में दुबई में मॉडर्न चिड़ियाघर, मॉडर्न गैलरी और स्काई डाइविंग है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. इनकी वजह से तमाम यात्री यहां आते हैं और होटलों में रुकते हैं. 1995 में दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की शुरुआत हुई थी, जिससे दुबई की इकनॉमी तेजी से बढ़ने लगी. 1999 में उन्होंने दुबई इंटरनेट सिटी बनानी शुरू की. यह ऐसा बिजनेस और निवेशकों को हर मदद दी जाती थी. इसके जरिए दुनिया भर से निवेश खींचने की कोशिश की गई. कंपनियों को बिजनेस करने में तमाम तरह की मदद दी जाती थी और कोशिश की जाती थी कि सिंगल विंडो क्लीयरेंस हो. जिसकी वजह से यहां तेजी से कारोबारी आने लगे, क्योंकि उन्हें बिजनेस में कोई दिक्कत नहीं होती थी.
इसके अलावा दुबई खेलों को भी प्रमोट करता है। दुबई ने तमाम खेलों को भी बढ़ावा दिया. घोड़ों की रेस से लेकर कार रेसिंग तक और क्रिकेट ग्राउंड तक, दुबई में सब कुछ मौजूद है. वहां आर्टिफीशियल फार्मलैंड बनाए गए हैं और मिनी फॉरेस्ट भी डेवलप कराए गए हैं. इतना ही नहीं, समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए भी मशीनों की मदद ली गई और मॉडर्न दुबई बन पाया.
समुद्र में बना दिया मैनमेड आइलैंड दुबई में ही पाम जुमैरा (Palm Jumeirah) भी है, जो एक मैन मेड आइलैंड है. यानी इस आइलैंड को दुबई ने आर्टिफीशियल तरीके से बनाया है. इसे बनाने के लिए समुद्र में मिट्टी डालकर आइलैंड बनाया गया है. इसे भी इतने क्रिएटिव तरीके से बनाया है कि यह सैटेलाइट से देखने पर या आसमान से देखने पर एक पेड़ जैसा लगता है. इसमें बहुत सारे घर बने हुए हैं।
बहुत से लोगों को लगता है कि दुबई की कमाई कच्चे तेल से होती है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि दुबई की जीडीपी में कच्चे तेल की हिस्सेदारी बस 1-2 फीसदी है. वहीं दुबई की सबसे बड़ी कमाई हिस्सेदारी आती है टूरिज्म से, जो करीब 20 फीसदी है.
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