रियल एस्टेट के व्यवसाय को रेगुलेट करने वाली संस्था भू-सम्पदा अपीलीय न्यायाधिकरण ने एक ऐसा आदेश जारी किया की बिहार की राजधानी पटना में भूकंप आ गया। दरअसल पटना के कई बड़े बिल्डर्स बिना निबंधन प्लॉट-फ़्लैट की बिक्री किये जा रहे थे, ऐसे कई बिल्डर्स कानून की धज्जियाँ उदा रहे थे। ऐसे में इस मामले में भू-संपदा अपीलीय न्यायाधिकरण ने खुद संज्ञान लेते हुए कर्यवाही के आदेश जारी किये हैं। ऐसे में इस लिस्ट में राजधानी पटना के कई नामी और बड़े बिल्डर्स के नाम शामिल हैं।
बिहार में बिल्डरों द्वारा ग्राहकों को झांसा देकर फ्लैट की बुकिंग-बिक्री करने की शिकायत लगातार मिलती है। रेरा की तरफ से लगातार कार्रवाई भी की जा रही है। ऐसे में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा तो पटना में किया जा रहा। कई ऐसे बिल्डर हैं जो रेरा के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। एक ऐसे ही बिल्डर के दो केस में रेरा की बेंच ने 1-1 लाख का जुर्माना लगाया है। साथ ही शिकायतकर्ता को बिल्डर के फ्रॉड के लिए सिविल कोर्ट में भी केस दर्ज करने की सलाह दी है।
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बना है। बिल राज्यसभा द्वारा 10 मार्च 2016 को और लोकसभा में 15 मार्च 2016 को पारित कर दिया गया था। 92 में से 69 अधिसूचित वर्गों के साथ 1 मई 2016 से ये अधिनियम अस्तित्व में आया। केंद्र और राज्य सरकारें छह महीने की वैधानिक अवधि के भीतर अधिनियम के अन्तर्गत नियम सूचित करने के लिए उत्तरदायी हैं।
इस अधिनियम को बिल्डरों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि के अनुसार बनाया गया है। इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और कई तरह की समस्याएं हैं। RERA एक सरकारी निकाय है जिसका एकमात्र उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के लिए एक पथ रखना है ताकि उन्हें बेहतर सेवाओं के साथ आगे आने का मौका मिले।