क्या हज़ और उमराह में अंतर ?

Saudi Arab – सऊदी अरब में आपने अक्सर देखा देखा होगा की मुस्लिम समुदाय के लोग उमराह और हज करने जाते है लेकिन इन दोनों में अंतर क्या होता है चलिए हम आपको बताते है अक्सर मुस्लिम समुदाय के लोग हज और उमराह पर जाते है हलाकि बेसक मुस्लिम समुदाय इस बात से रु बा रु होते है की आखिर हज और उमराह क्या होता है। ,लेकिन गैर मुस्लिमों के लिए ये बेहद कन्फुसिंग होता हिअ तो चलिए हम आपको बताते है की हज और उमराह आखिर होता क्या है। दरअसल उमराह सालाना हज का संक्षिप्त रूप होता है. मक्का की यात्रा को उमराह कहा जाता है. अरबी भाषा में उमराह का मतलब होता है ‘आबादी वाली जगह का दर्शन’.

उमराह स्वैच्छिक और सुन्नत

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उमराह स्वैच्छिक और सुन्नत है जबकि हज शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत मुसलमानों पर फर्ज है. हज इस्लाम के पांच सतूनों में से एक है. जिंदगी में एक बार उन्हें मक्का-मदीना जाकर हज करना जरूरी होता है. हज इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की 8-13 तारीख के बीच किया जाता है जबकि उमराह के लिए समय की बाध्यता नहीं है. कभी भी मक्का में जाकर किया जा सकता है.

आपको बता दे की उमरा स्वैच्छिक और सुन्नत होता है है उमराह मुसलमामनों को ईमान ताजा करने और खुदा से गुनाहों की माफी तलब का मौका होता है. कहा जाता है कि उमराह करनेवाला गुनाहों से पाक हो जाता है. सऊदी अरब से बाहर के यात्रियों को स्पेशल उमराह वीजा की जरूरत होती है. ये वीजा एक महीने तक मान्य रहता है. सऊदी अरब और आसपास रहनेवाले लोग बिना किसी खास दस्तावेज के उमराह कर सकते हैं.

दुनिया का कोई भी मुसलमान कभी भी उमराह कर सकता है. उमराह काम समय के अंदर तेजी से किया जानेवाला आध्यात्मिक अमल है. जबकि हज कई दिनों तक चलनेवाली लंबी प्रक्रिया का नाम है. दुनिया में हज के मौके पर सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठा होती है. हज और उमराह करनेवाले तीर्थयात्रियों को काबा के इर्द गिर्द चक्कर लगाना होता है. काबा के महत्व का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि दुनिया के मुसलमान इसकी दिशा में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं.

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एहराम के बिना उमराह और हज की इजाज़त नहीं

उमराह करनेवाले यात्रियों को एहराम की हालत में होना चाहिए. एहराम हज औऱ उमराह का एक खास लिबास होता है. एहराम बांधने के साथ ही लड़ाई-झगड़ा, गाली और अपशब्दों का इस्तेमाल हराम हो जाता है. यहां तक कि किसी जानवर को भी नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता. तीर्थ यात्रियों को नाखून, दाढ़ी, बाल कटाने की इजाजत भी नहीं होती.

हज और उम्र दोनों इस्लामी तीर्थयात्रा के अलग अलग रूप हैं, इनमे मुख्य अंतर उनके महत्व का स्तर और पालन की विधि है। हज को नामित इस्लामी महीने के दौरान विशिष्ट दिनों में ही किया जाता है जबकि उमरा को किसी भी समय किया जा सकता है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक स्तम्भ है। मुस्लिम में प्रत्यके एक मुसलमान को हज एक बार जाना अनिवार्य है, लेकिन उसके लिए उस व्यक्ति का शारीरिक रूप से फिट और वित्तीय रूप से सक्षम होना अनिवार्य है, जबकि उमरा कोई कभी भी जा सकता है. उमरा कुछ समय में किया जा सकता है जबकि हज के दिन निश्चित किये गए हैं और ये लम्बी तीर्थयात्रा होती है.दोनों के नियम और महत्व अलग अलग होते हैं. हज को उमरा से अधिक महत्व दिया गया है. उमरा को छोटे स्तर का तीर्थ यात्रा माना गया है और हज को बड़े स्तर का तीर्थ यात्रा माना गया है.

 

 

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