Saudi: भारत समेत कई देशों से काम करने के लिए कामगार खाड़ी देशों में जाते हैं। काम के लिए उनसे कॉन्ट्रैक्ट कराया जाता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को काम नहीं किया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को पैसे और सुविधाएं नहीं दी जाती है। इसी बारे में Ministry of Human Resources and Social Development (MHRSD) के Assistant Undersecretary, Eng. Faisal Al-Dhafyan के मुताबिक, अगर कामगार को कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं मिलती है तो वह केस दर्ज करा सकता है।
कामगार कर सकते हैं शिकायत
सऊदी मंत्री ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से नियोक्ता और कामगार दोनों को कानूनी अधिकार दिया जाता है। अगर कामगार को किए गए वादे और कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं दिया जाता है तो वह शिकायत कर सकता है। कामगार और नियोक्ता बीच हुए कॉन्ट्रेक्ट के हिसाब से काम और सैलरी दी जाए। उन्हें आपसी विवाद खुद से ही सॉल्व कर लेना चाहिए। हालांकि, मामला अगर नहीं सुलझता है तो लेबर कोर्ट की मदद लेनी चाहिए। कामगार को कॉन्ट्रैक्ट देना जरूरी है। इस तरह से कामगार और नियोक्ता दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी !
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बीते कुछ वर्षों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में अहम बदलाव कर रहे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अपने एजेंडे में बेरोज़गारी दर को घटाकर 2030 तक सात फ़ीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है. सलमान आर्थिक वृद्धि दर में गति लाना चाहते हैं और अपने नागरिकों के लिए नई नौकरियां पैदा करना चाहते हैं. स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में नौकरी भी इसी का हिस्सा है.
वैसे विदेशियों को नौकरी देने के मामले में सऊदी अरब का अमेरिका, रूस और जर्मनी के बाद दुनिया में चौथा स्थान है. यहां 70 लाख से अधिक प्रवासी प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं. सऊदी के 68 फ़ीसद घरों में घरेलू श्रमिक काम करते हैं. यानी की करीब 10 लाख ! 2017 में घरेलू श्रमिकों के लिए वीज़ा में 14 फ़ीसद का इजाफ़ा किया गया था और उसके बाद से ही इतने मज़दूरों का इजाफा हुआ है.
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