Saudi Arab : सऊदी अरब और इजरायल के बीच संबंध कभी सामान्य नहीं रहे हैं लेकिन अब दोनों दुश्मन देश दोस्त बनने जा रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से इसकी मध्यस्थता कर रहा है। अमेरिकी कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि उनका देश इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य खाड़ी देशों के इसी तरह के कदमों के बाद और सऊदी-इजरायल समझौते के लिए अमेरिका के बड़े दबाव के बीच दोनों देश आपसी रिश्ते पटरी पर लाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान को है दिक्कत
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‘हमारा इजरायल को एक देश के तौर मान्यता देने का कोई इरादा नहीं है…’ पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने बात बीते रविवार को कही है. पाकिस्तान का ये बयान उस समय आया है जब मध्य पूर्व एशियाई देशों यानी अरब में इजरायल को लेकर मान्यताएं बदल रही हैं. ये हालात पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत लेकर भी आ सकते हैं.
दरअसल बीते हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की 78वीं आम बैठक के दौरान इजरायल के विदेश मंत्री इली कोहेन की मुलाकात उन मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों से हुई जिन्होंने अभी तक इस देश को मान्यता नहीं दी है. इजरायल के विदेश मंत्री का दावा है कि करीब 6 से 7 मुस्लिम देश ऐसे हैं जो संबंधों को ‘सामान्य’ करना चाहते हैं. इनमें यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान शामिल हैं.
हालांकि, सऊदी अरब और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य होना इतना आसान नहीं है क्योंकि दोनों देश फिलिस्तीन को लेकर उलझन में हैं और दोनों के बीच वार्ता के केंद्रबिंदु में कई जटिलताएं हैं। सऊदी अरब ने कहा है कि फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करना होगा। सऊदी की यह शर्त इजरायल के लिए सबसे बड़ी मुश्किल हो सकती है। क्राउन प्रिंस ने कहा, ‘हमारे लिए, फिलिस्तीन का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है। हमें उसे सुलझाना होगा।’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि अभी तक इस मुद्दे पर एक अच्छी बातचीत चल रही है।
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“फिलिस्तीनी मुद्दा सुलह मुश्किल
उन्होंने कहा, “फिलिस्तीनी मुद्दा रियाद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।” जब उनसे पूछा गया कि सामान्यीकरण समझौता पाने के लिए क्या करना होगा, तो उन्होंने कहा, “हमें उस हिस्से को हल करने की ज़रूरत है। हमें देखना होगा कि हम कहाँ तक जा सकते हैं बता दें कि सऊदी अरब और इजरायल दोनों लंबे समय से ईरान के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं लेकिन मार्च में रियाद और तेहरान के राजनयिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति के बाद से संबंधों में सुधार हुआ है। तेहरान ने परमाणु हथियार की मांग से इनकार किया है, लेकिन वह वर्षों से अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेह के केंद्र में है।