Saudi : गाजा पट्टी पर और इजरायल के बीच शनिवार को सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में 57 मुसलमान देशों की मीटिंग हुई थी। अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन की इस मीटिंग में इजरायली हमलों की आलोचना तो की गई, लेकिन किसी भी बात पर सहमति नहीं बन पाई। अब इसे लेकर सऊदी अरब समेत कई देश की आलोचना हो रही हैं। यही नहीं फिलिस्तीन पर जारी इजरायली हमलों के बीच सऊदी अरब में स्पोर्ट्स और म्यूजिक फेस्टिवल जारी रहने को लेकर भी आलोचना की जा रही है।
सऊदी अरब की नीति पर सवाल
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मिडल ईस्ट मिरर के लिए लिखे एक लेख में डॉ. आमिरा अबू अल-फतेह ने सऊदी अरब की नीति पर सवाल किए हैं। लेखिका आमिरा ने कहा कि अब तक 11 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं, लेकिन किसी ऐक्शन पर इस्लामिक देशों में सहमति नहीं बन सकी। वह लिखती हैं, ’36 दिनों तक गाजा पर हमले जारी रहने के बाद इस्लामिक सहयोग संगठन जागा। यह मीटिंग सऊदी अरब ने तब बुलाई, जब इजरायल के खिलाफ आक्रामक रुख से वह मुस्लिम देशों के नेतृत्व में पिछड़ता दिखा। ईरान ने यमन और लेबनान को साथ लेकर इस पर काम भी शुरू कर दिया था।’
लगाया आरोप
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वह लिखती हैं कि इनसे बेहतर तो बोलिविया जैसे लैटिन अमेरिकी देश ही रहे हैं। इन देशों ने इजरायल से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया। यही नहीं डॉ. आमिरा अबू अल-फतेह ने इस्लामिक संगठन को बिना दांत वाला शेर बताते हुए कहा कि इजरायल को भी यह बात पता है। वह कहती हैं कि ये लोग सिर्फ इसलिए मिले थे कि लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा सके, जो फिलिस्तीन के लोगों पर हमलों से नाराज हैं। पूरे अरब और मुस्लिम जगत में गाजा पट्टी को लेकर सहानुभूति है। बस उसी को दबाने के लिए यह मीटिंग की गई थी।
सऊदी से किया सवाल
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उन्होंने लिखा कि जब फिलिस्तीन पर हमले हो रहे थे और बेगुनाह हजारों लोग मारे जा रहे थे, तब सऊदी अरब अपने यहां म्यूजिक और स्पोर्ट्स फेस्टिवल कराने में व्यस्त था। इससे सऊदी अरब की नीति पर सवाल तो उठते ही हैं। सऊदी अरब के अलावा वह यूएई और बहरीन पर भी सवाल उठाते हुए लिखती हैं, ‘यदि इन लोगों को यहूदी देश के नरसंहार से आपत्ति ही थी तो वह सिर्फ बात ही क्यों करते हैं। यदि उसे लेकर गंभीर हैं तो फिर जमीन पर कोई ऐक्शन क्यों नहीं लिया गया।’