UAE: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 11 लोगों और 8 यूके आधारित संगठनों को काली सूची में डाल दिया है। इन पर मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े होने का आरोप है, जिसे यूएई आतंकवादी संगठन मानता है। यह जानकारी यूएई की सरकारी न्यूज़ एजेंसी WAM ने दी है।
इस फैसले के बाद इन संगठनों और व्यक्तियों को कानूनी और आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। यूएई के कानून के तहत, इन पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्त करने और कड़े वित्तीय नियम लगाए जाएंगे। अमीरात के नागरिकों और व्यापारियों को इनसे किसी भी तरह की आर्थिक मदद करने से मना किया गया है।
कौन-कौन से संगठन हुए ब्लैकलिस्ट?
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यूएई ने जिन संगठनों को Black List में डाला है, उनमें शामिल हैं:
- कैम्ब्रिज एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर लिमिटेड
- IMA6INE लिमिटेड
- वेम्बली ट्री लिमिटेड
- वासलाफोरॉल
- फ्यूचर ग्रेजुएट्स लिमिटेड
- यास फॉर इन्वेस्टमेंट एंड रियल एस्टेट
- होल्डको यूके प्रॉपर्टीज लिमिटेड
- नेफेल कैपिटल
यूके में चल रहे विवाद का असर
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब यूके “ग्रूमिंग गैंग” विवाद से जूझ रहा है। इस कांड में मुख्य रूप से ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुषों पर कमजोर लड़कियों का शोषण करने का आरोप है। इस मुद्दे ने ब्रिटेन में सिस्टम की विफलताओं की बड़ी बहस को जन्म दिया है। एलन मस्क ने भी इस विवाद में यूके के प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर पर मिलीभगत का आरोप लगाकर हलचल मचा दी है। इससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।
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ब्रिटेन का रुख
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैकलिस्ट हुए ये संगठन शिक्षा, रियल एस्टेट और मीडिया जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। खास बात यह है कि इनमें से कई संगठनों के निदेशक अमीराती नागरिक हैं। ब्रिटेन के पास पहले से ही “प्रतिबंधित संगठनों” की सूची है, जिसमें रूस का वैगनर ग्रुप और तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान जैसे 75 से ज्यादा नाम शामिल हैं। लेकिन, मुस्लिम ब्रदरहुड को अभी तक यूके में आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया गया है।
मुस्लिम ब्रदरहुड पर फिर से चर्चा
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यूएई के इस कदम ने ब्रिटेन में मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रभाव पर बहस छेड़ दी है। अगस्त में, तत्कालीन समुदाय सचिव माइकल गोव ने मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ ब्रिटेन (MAB) को “चरमपंथी प्रवृत्तियों” के लिए जिम्मेदार बताया था। हालांकि, MAB ने मुस्लिम ब्रदरहुड से किसी भी संबंध से इनकार करते हुए कहा, “हम ब्रिटिश संगठन हैं और सिर्फ ब्रिटेन में काम करते हैं। हमारा मुस्लिम ब्रदरहुड से कोई लेना-देना नहीं है।”
यह बहस 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की समीक्षा की याद दिलाती है, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ाव “चरमपंथ का संकेत” हो सकता है, लेकिन उस समय इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया था।