UAE: इस साल मई में, अलप्पुझा की रहने वाली सूर्या सुरेंद्रन ने गलती से अपने आंगन में लगे अराली (ओलियंडर) के फूल खा लिए थे, जिससे उनकी जान चली गई थी। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, पौधे से निकले जहर की वजह से 24 वर्षीय महिला को दिल का दौरा पड़ा था। यह देखते हुए कि गुलाबी रंग का यह फूल आमतौर पर मंदिरों में पूजा के लिए और कई अन्य आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जाता था, कई लोग इसके side effects के बारे में जानकर हैरान रह गए।
त्रावणकोर और मालाबार देवस्वोम बोर्ड ने भी मंदिर के प्रसाद में इस फूल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया।, मनोरमा ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार अब, यूएई ने भी इस फूल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, इसे बेचने या इस्तेमाल करने की कोशिश करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। यूएई में यह फूल ओणम समारोह के दौरान इस्तेमाल किये जाते है। यह फूलों के कालीन बनाने और धार्मिक समारोहों के लिए लोकप्रिय था।
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अराली क्यों खतरनाक है?
विशेषज्ञों के अनुसार, इस फूल का संस्कृत में नाम ‘काजमारका’ है, जिसका अर्थ है कि यह घोड़े को मारने के लिए काफी खतरनाक है। दिलचस्प बात यह है कि पौधे के सभी हिस्से, खास तौर पर इसकी पत्तियाँ, ज़हरीली होती हैं। वनस्पतिशास्त्रियों का कहना है कि आज की जलवायु फूलों और पत्तियों की विषाक्तता को भी दोगुना कर देती है। अगर कोई घोड़ा गलती से पौधे की लगभग 30 पत्तियाँ खा ले, तो 24 घंटे में उसकी मौत हो सकती है।
अरली के ज़हर में हृदय की कार्यप्रणाली को धीमा करने की शक्ति होती है, जिससे अंततः हृदय गति रुक सकती है। इसमें मौजूद विषाक्त पदार्थ फेफड़ों और लीवर को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं, खून के थक्के जमने की प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, साँस लेने में समस्या पैदा कर सकते हैं और लीवर से रक्तस्राव हो सकता है। इसका ज़हर पोटेशियम साइनाइड से लगभग एक तिहाई धीमा होता है। गलती से अरली खाने वाले रोगियों को प्राथमिक उपचार के रूप में छाछ या नींबू का रस दिया जा सकता है।