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Kolkata Rape and Murder: लेडी डॉक्टर के जख्मों का खुलासा ,दिल चीरकर रख देगा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

Priya Jha
14 Min Read

Kolkata Rape and Murder: कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आ गई है। इस रिपोर्ट में हर चोट का ब्योरा दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जूनियर डॉक्टर के शरीर पर मिली सभी चोटें उस वक्त मिलीं जब वह खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी। लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।

कोलकाता रेप और मर्डर: कोलकाता में रेप और मर्डर की शिकार हुई डॉक्टर की दोनों आंखें जख्मी थीं, मुंह से खून बह रहा था, होठ जख्मी थे, पूरा चेहरा जख्मी था, गर्दन जख्मी थी, दोनों हाथों की अंगुलियों के नाखून जख्मी थे, प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था, बायां पैर जख्मी था, पेट जख्मी था, दायां एड़ी जख्मी था और दायां हाथ की अनामिका टूटी हुई थी। ये उन चोटों की फेहरिस्त है जो कोलकाता की ट्रेनी जूनियर डॉक्टर को लगी हैं। जब यह सूची ही दिल दहला देने वाली है तो सोचिए अगर हर जख्म की कहानी कहानी की तरह कही जाए तो क्या होगा। खुद को और अपनी इज्जत बचाने के लिए जूनियर डॉक्टर तब तक लड़ी जब तक उसके होश ने उसका साथ दिया और जब तक वह होश में थी, वह घायल होने के बाद भी खुद को और अपनी इज्जत बचाने में कामयाब रही। लेकिन चोटों की सूची इतनी लंबी थी कि वह दर्द और होश दोनों से हार गई।

आंखें, मुंह, गुप्तांगों से खून बह रहा था, गर्दन टूटी

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अब वह उस दरिंदे को देख भी नहीं पा रही थी क्योंकि उसने जो चश्मा पहना था वह उसकी दोनों आंखों को तोड़कर जख्मी कर चुका था। उसकी आंखें बंद थीं और वह बेहोश थी और बेहोशी की इसी हालत में वह उसे तब तक बेइज्जत करता रहा जब तक उसकी सांसें बंद नहीं हो गईं। लेकिन वह इतना नशे में था कि उसे यह भी अहसास नहीं हुआ कि जूनियर डॉक्टर जिंदा है या नहीं। डॉक्टर शोर न मचाए इसलिए वह उसका मुंह दबाता रहा और जब तक वह होश में थी, उसकी चीखें दबाता रहा और फिर जब मौका मिला तो उसके वही हाथ उसकी गर्दन तक पहुंच गए। इस बीच उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका गला घोंट दिया गया। जूनियर डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आ गई है। इस रिपोर्ट में हर चोट का हिसाब दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जूनियर डॉक्टर के शरीर पर जो भी चोटें मिली हैं, वे उस समय मिली हैं, जब वह खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी।

प्राइवेट पार्ट के अंदर गहरा घाव

इस कोशिश में उसके चश्मे का शीशा टूट गया और उसके टुकड़े उसकी आंखों में फंस गए। यही वजह थी कि दोनों आंखों से खून बहने लगा। चेहरे, नाक और मुंह पर घाव इसलिए आए, क्योंकि आरोपी लगातार उसे काबू में करने की कोशिश कर रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट पार्ट पर घाव तब आए, जब जूनियर डॉक्टर बेहोश हो गई थी और वह अपना गुस्सा निकाल रही थी। लेकिन संजय रॉय नाम के उस राक्षस ने जूनियर डॉक्टर के साथ ऐसा क्यों किया? क्या संजय की जूनियर डॉक्टर से कोई दुश्मनी थी? क्या वह जूनियर डॉक्टर को पाना चाहता था या फिर उसकी जूनियर डॉक्टर के प्रति बुरी नीयत थी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए संजय की पूरी कहानी सामने लाना जरूरी था। खास तौर पर घटना वाले दिन और उससे कुछ दिन पहले, कोलकाता पुलिस के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से संजय की दिनचर्या कुछ इस तरह की थी।

स्वयंसेवक बना दरिंदा

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5 अगस्त को संजय रॉय खड़गपुर के सलुआ में पुलिस वेलफेयर सोसाइटी की बैठक में शामिल होने गया था। दरअसल, संजय रॉय कोलकाता पुलिस में स्वयंसेवक के तौर पर काम करता था। 2019 में संजय पहली बार स्वयंसेवक के तौर पर कोलकाता पुलिस के आपदा प्रबंधन समूह में शामिल हुआ था। कोलकाता पुलिस ऐसे नागरिक स्वयंसेवकों को हर महीने एक विशेष राशि देती है। बाद में संजय रॉय आपदा प्रबंधन से पुलिस कल्याण विभाग में चला गया। कुछ समय बाद उसका वहां से तबादला हो गया और मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल थाने में उसकी तैनाती हो गई। फिलहाल वह यहीं पर तैनात था। हालांकि वह महज स्वयंसेवक था, इसके बावजूद वह अपनी बाइक पर केपी यानी कोलकाता पुलिस का टैग लगाकर चलता था। यहां तक ​​कि वह केपी लिखी टी-शर्ट और टोपी भी पहनता था।

आरोपी अस्पताल में दलाली करता था

चूंकि वह कोलकाता पुलिस में काम करता था, इसलिए उसके पुलिस से अच्छे संपर्क थे और इन संपर्कों का फायदा उठाकर वह अक्सर पुलिस बैरक में रहता था। पुलिस स्वयंसेवक होने के नाते वह 5 अगस्त को पुलिस वेलफेयर सोसाइटी की बैठक में शामिल होने खड़गपुर के सलुआ गया था। वह यहां कुल तीन दिन रहा। तीन दिन सलुआ में रहने के बाद 8 अगस्त की सुबह वह कोलकाता लौट आया। कोलकाता पहुंचने के बाद वह सबसे पहले आरजी कर अस्पताल गया। संजय अक्सर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के नाम पर दलाल की तरह पैसे ऐंठता था। 8 अगस्त को भी उसने इसी तरह एक मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया। उसे भर्ती कराने के बाद वह अस्पताल से चला गया। इसके बाद वह पूरे दिन अस्पताल नहीं गया। 8 अगस्त की ही रात करीब 11 बजे संजय वापस आरजी कर अस्पताल पहुंचा।

नशे की हालत में पहुंचा सेमिनार हॉल

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अटेंडेंट को घर भेजने के बाद नशे की हालत में संजय फिर से अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग में दाखिल होता है। इसके बाद वह बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर जाता है। इस मंजिल पर चेस्ट मेडिसिन विभाग था और उसी मंजिल पर सेमिनार हॉल था। नशे में धुत संजय उसी सेमिनार हॉल में दाखिल होता है। दाखिल होते ही उसकी नजर उसी जूनियर डॉक्टर पर पड़ती है जो उसी सेमिनार हॉल में आराम करने आई थी और शायद सो रही थो । वह पहले से ही नशे में था और ऊपर से तीसरी मंजिल पर सुनसान सेमिनार हॉल में कोई और नहीं था। दरअसल, चेस्ट मेडिसिन विभाग की जूनियर डॉक्टर नाइट शिफ्ट में थी। सभी मरीजों को देखने के बाद उसने रात के 2 बजे अपने चार साथी डॉक्टरों के साथ कैंटीन में खाना खाया।

डॉक्टर सेमिनार हॉल में आराम करने पहुंची

खाना खाने के बाद बाकी डॉक्टर मरीजों को देखने चले गए। चूंकि उस समय जूनियर डॉक्टर के पास कोई काम नहीं था, इसलिए उसने थोड़ी देर आराम करने के लिए उसी सेमिनार हॉल में जाने का फैसला किया। दरअसल, नाइट शिफ्ट के दौरान सभी डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ अक्सर आराम करने के लिए उसी सेमिनार हॉल में चले जाते थे, क्योंकि रात में यह खाली रहता था और अंदर करीब 35 से 40 कुर्सियां ​​लगी होती थीं। जूनियर डॉक्टर रात करीब 3 बजे सेमिनार हॉल में पहुंची और एक कुर्सी पर आराम करने लगी। दुर्भाग्य से कुछ देर बाद नशे में धुत संजय उसी सेमिनार हॉल में था और तमाम कोशिशों के बावजूद जूनियर डॉक्टर उसके चंगुल से खुद को छुड़ा नहीं पाई।

सबकी आंखों के सामने जूनियर डॉक्टर का शव मिला

संजय करीब 40 मिनट तक इस सेमिनार हॉल में रहा। इसके बाद वह वहां से निकल जाता है। जब संजय अस्पताल से निकला तो सुबह के 4:37 बज रहे थे। कमाल देखिए… एक डॉक्टर को बेइज्जत करके उसकी जान लेने के बाद वह अस्पताल से कहीं और नहीं जाता बल्कि पास में ही स्थित सीपी यानी कोलकाता पुलिस की बैरक में जाकर बेफिक्र होकर सो जाता है। अब सुबह के करीब 8 बज चुके थे और इसी समय अस्पताल का एक स्टाफ तीसरी मंजिल पर स्थित उस सेमिनार हॉल में दाखिल होता है। वहां उसकी आंखों के सामने जूनियर डॉक्टर की लाश पड़ी थी. थोड़ी ही देर में पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया. कोलकाता पुलिस अब मौके पर पहुंच चुकी थी. जूनियर डॉक्टर की लाश के साथ ही उसका लैपटॉप और मोबाइल भी मौके पर पड़ा था. साथ ही गले में पहनने वाला एक ब्लूटूथ बैंड. लाश के शरीर पर ऊपर के कपड़े तो थे लेकिन नीचे के नहीं.

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ऐसा कैसे हो सकता है

मामला एक सरकारी अस्पताल के अंदर जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का था. कोलकाता पुलिस अब अपनी जांच शुरू करती है. नाइट शिफ्ट में मौजूद सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जाती है. अस्पताल के सभी सीसीटीवी कैमरों की जांच की जाती है. खास तौर पर तीसरी मंजिल पर सेमिनार हॉल में आने-जाने के रास्ते में लगे हर कैमरे की बारीकी से जांच की जाती है और फिर पहली बार उस कैमरे में संजय रॉय लड़खड़ाते हुए दिखाई देते हैं. कोलकाता पुलिस का अपना स्वयंसेवक. इसी कैमरे ने पुलिस को पहला सुराग दिया. दरअसल जब पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे को ध्यान से देखा तो पाया कि संजय जब रात में सेमिनार हॉल में गया था तो उसके गले में ब्लूटूथ नेकबैंड था, लेकिन जब वह सुबह करीब 4:35 बजे सेमिनार हॉल से बाहर आया तो उसके गले में नेकबैंड नहीं था और संयोग से पुलिस को जूनियर डॉक्टर के शव के पास नेकबैंड मिला।

मौके से संजय का नेकबैंड ब्लूटूथ बरामद

अस्पताल के कर्मचारियों से यह पता लगाने में देर नहीं लगी कि संजय पुलिस का स्वयंसेवक है और अक्सर पुलिस बैरक में रात बिताता है। पुलिस की एक टीम तुरंत बैरक पहुंचती है। सो रहे संजय को जगाया जाता है और पूछताछ के लिए थाने लाया जाता है, लेकिन संजय से पूछताछ से पहले ही नेकबैंड ब्लूटूथ अपनी गवाही दे चुका था। मौके पर मिला ब्लूटूथ संजय के मोबाइल से आसानी से कनेक्ट हो गया था। अब इस बात पर शक की कोई गुंजाइश नहीं थी कि मौके से बरामद नेकबैंड ब्लूटूथ संजय का ही है। संजय की गिरफ्तारी के साथ ही कोलकाता पुलिस का दावा है कि जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सुलझ गया है, लेकिन कोलकाता पुलिस पर शक करने के लिए अभी भी कई सवाल हैं।

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महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले की जांच सीबीआई करेगी

उदाहरण के लिए, लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि संजय अकेले ही जूनियर डॉक्टर को काबू कर सकता था, जबकि वह बहुत ही बड़ी है। कई लोगों को यकीन है कि जूनियर डॉक्टर के बलात्कार का दोषी सिर्फ संजय नहीं है, बल्कि कुछ और लोग भी हैं। हालांकि, इस सवाल के जवाब में कोलकाता पुलिस ने कहा है कि उन्होंने जूनियर डॉक्टर और संजय दोनों के डीएनए सैंपल लैब में भेजे हैं। अगर जूनियर डॉक्टर पर हमले में संजय के अलावा और भी लोग शामिल हैं, तो डीएनए रिपोर्ट से यह साफ हो जाएगा।

 

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