Saudi Operation Exit : सऊदी विदेश मंत्रालय का कहना है कि सूडान से सउदी और मित्रवत और भाईचारे वाले देशों के नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है कि दो पवित्र मस्जिदों के कस्टोडियन किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद और क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के विशेष निर्देशों का पालन करते हुए जैसे ही सैन्य संघर्ष शुरू हुआ सूडान में मौजूद सऊदी नागरिकों और भाइयों ने मानवीय आधार पर पड़ोसी देशों के नागरिकों जैसे भारतीय पकिस्तसनी समेत और भी देश के लोगो को निकालने का अभियान शुरू किया था.
सऊदी अरब द्वारा सूडान से लोगों को निकालने का सिलसिला चरणों में जारी रहा। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि निकासी अभियान में अब तक सूडान से 8 हजार 455 लोगों को देश लाया जा चुका है. सूडान से लाए गए लोगों में 404 सऊदी नागरिक और 10 देशों के 8 हजार 51 लोग शामिल हैं, जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. सऊदी अरब की ओर से निकासी अभियान में रॉयल सऊदी नौसेना और वायु सेना ने विशेष भाग लिया। सूडान से आने वालों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें आने वाले पीड़ितों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था भी शामिल थी।
सऊदी पासपोर्ट विभाग ‘जवाज़त’ द्वारा उन विदेशियों के लिए विशेष सुविधाएं भी प्रदान की गईं जिनके पास अपने देशों के पासपोर्ट या सऊदी अरब के वीजा नहीं थे। जिन लोगों के पास पासपोर्ट नहीं था, उनके देश के दूतावासों द्वारा उनके देशों के नागरिकों को उनके देशों में निर्वासित करने के लिए अस्थायी यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए उनसे संपर्क किया गया था।
सूडान से निकासी अभियान में भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेधा, आईएनएस तेग और आईएनएस तरकश शामिल था, इसके अलावा भारतीय वायु सेना का विमान भी इसमें शामिल है। इस अभियान के तहत पोर्ट सूडान और जेद्दा में जरूरी आधारभूत ढांचा तैयार किया गया है। सूडान में सेना और एक अर्द्धसैनिक समूह के बीच सत्ता हासिल करने के लिए भीषण संघर्ष जारी है।
दरअसल सूडान में 2021 से ही सत्ता संघर्ष चल रहा है. आर्मी चीफ अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथ में सरकार की कमान है जबकि रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF के मुफिया मोहम्मद हमदान दगालो नंबर दो माने जाते हैं- सूडान इन दो जनरलों की लड़ाई में ही फंसा है. सूडान में दो साल पहले तक नागरिक और सेना की संयुक्त सरकार थी लेकिन साल 2021 में सरकार का तख्ता-पलट कर दिया गया. इसके बाद से ही सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स में ठनी है.
फतेह अल बुरहान और हमदान दगालो अपनी जिद पर अड़े हैं- खासकर सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के विलय को लेकर. करीब एक लाख सैनिकों वाले रैपिड सपोर्ट फोर्स का अगर सेना में विलय होता है तो नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा. इसपर सहमति नहीं बन पाई है- यही नहीं फतेह अल बुरहान चाहते हैं कि उनकी सेना किसी निर्वाचित सरकार को ही सत्ता हस्तांतरित करेगी- लेकिन यहां भी हमदान दगालो से कोई सहमति नही बन पाई है.
सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स साल 2013 में वजूद में आया. ये अर्धसैनिक बल की तरह है और ये सेना से अलग है. माना जाता है कि रैपिड सपोर्ट का ताकतवर होना भी सूडान सिविल वॉर की बड़ी वजह है. रैपिड सपोर्ट फोर्स के लड़ाकों ने सूडान के सोने की खानों पर भी कब्जा कर लिया है जिसपर देश की इकोनॉमी टिकी है.