Saudi Arabia Law : एक बहुत ही दर्दनाक खबर जहाँ सऊदी अरब ने रमजान के पाक महीने के दौरान एक व्यक्ति को फांसी दी। यह फैसला काफी गलत माना जा रहा है, क्यूंकि अक्सर रमज़ान महीने के दौरान हुकूमत इस तरह फैसला नहीं लेती। रिपोर्ट से पता चला है कि 14 सालों के बाद यह फैसला दोहराया गया है. साल 2009 में ऐसा हुआ था की एक आरोपी को सऊदी हुकूमत ने रमज़ान में फांसी दी थी और तब से सऊदी अरब में रमजान के दौरान कोई सजा नहीं सुनाई गई है।
फांसी की सजा पाने वाले आरोपी पर हत्या का केस
रिपोर्ट के अनुसार, फांसी की सजा पाने वाले आरोपी पर हत्या का केस दर्ज था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फांसी 28 मार्च यानी रमजान के पांचवे दिन दी गयी है. सऊदी नागरिक, जिसे हत्या का दोषी ठहराया गया था, उसको मदीना क्षेत्र में सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया साथ ही रिपोर्ट में ये कहा गया कि आरोपी व्यक्ति ने एक पीड़ित को पहले चा/कू मारा और फिर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी थी।
यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन (ESOHR) ने सऊदी आंतरिक मंत्रालय की मृत्युदंड के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “सऊदी अरब ने रमजान के दौरान एक आरोपी नागरिक को फांसी दे दी. जबकि सऊदी अरब में 2009 से पवित्र महीने के दौरान कोई सजा लागू नहीं की गई है. इस तरह सऊदी अरब में फांसी की दर दुनिया की सबसे ऊंची दरों में से एक है और इस नए मामले के साथ, 2023 में फांसी की संख्या बढ़कर 17 हो गई है.
सऊदी अरब में इस मामलों में गैर इरादतन हत्या, हत्या की योजना, आंतकवादी गतिविधियां, दुष्कर्म, समलैंगिक संबंध, सेंधमारी, चोरी, डकैती, जासूसी, धर्म के खिलाफ व्यवहार, नशीली दवाओं का सेवन और ब्रिकी के मामले में कानून काफी सख्त है। इन अपराधों पर मौत दंड का प्रावधान है। यह देश का कानून यानी शरिया ला का तय करता है। बता दें कि सऊदी अरब दुनिया के उन मुल्कों में है, जहां सबसे ज्यादा कठोर काननू है।
97 देश इस प्रावधान को समाप्त कर चुके
दुनिया में 58 देशों में सजा-ए-मौत के लिए फांसी दिए जाने का प्रावधान है। 73 मुल्कों में मौत की सजा के लिए गोली मारे जाने का प्रावधान है। भारत सहित 33 देशों में मृत्युदंड का एकमात्र तरीका फांसी है। इसके अलावा छह मुल्कों में स्टोनिंग यानी पत्थर मारकर यह दंड दिया जाता है। दुनिया के पांच मुल्कों में इंजेक्शन देकर मौत की सजा दी जाती है। तीन देशों में सिर काट कर इस सजा को अंजाम दिया जाता है। दुनिया में 58 मुल्क मृत्युदंड देने के मामले में काफी सक्रिय माने जाते हैं, जबकि 97 देश इस प्रावधान को समाप्त कर चुके हैं।