Saudi Arab: सऊदी अरब ने विदेशी निवेशकों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय हिंदुओं समेत सभी धर्मों के लोगों को मक्का और मदीना में निवेश का अवसर दिया है। जहां हर साल हजारों भारतीय मुस्लिम हज और उमराह के लिए सऊदी अरब जाते थे, वहीं अब अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी यहां निवेश और कारोबार के नए दरवाजे खुल गए हैं।
सऊदी अरब की कैपिटल मार्केट अथॉरिटी ने हाल ही में घोषणा की है कि 27 जनवरी से विदेशी निवेशक मक्का और मदीना में पब्लिकली-ट्रेडेड कंपनियों और रियल एस्टेट फर्मों में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, विदेशी निवेशक सीधे तौर पर मक्का और मदीना में प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकते, लेकिन वे पब्लिक फर्म्स के शेयर और परिवर्तनीय डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स (Convertible Debt Instruments) में निवेश कर सकते हैं।
मक्का और मदीना में निवेश की शर्तें
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- विदेशी निवेशक केवल सऊदी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध फर्मों में निवेश कर सकते हैं।
- किसी भी कंपनी में 49% से अधिक शेयर विदेशी निवेशक नहीं खरीद सकते।
- निवेश केवल मक्का और मदीना तक ही सीमित है।
सऊदी अरब की विजन 2030 योजना
सऊदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से हटाकर विविधता लाने के प्रयास में है। इसके तहत विजन 2030 के तहत विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कई छूट और सुविधाएं दी जा रही हैं। मक्का और मदीना में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स का विस्तार किया जा रहा है, ताकि हर साल 30 मिलियन तीर्थयात्रियों को आकर्षित किया जा सके।
हज और उमराह यात्रा से जुड़ा है निवेश का सीधा संबंध
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मक्का और मदीना में हर साल लाखों तीर्थयात्री हज और उमराह के लिए पहुंचते हैं। इनमें ठहरने और अन्य सुविधाओं के लिए होटल और रियल एस्टेट की बड़ी मांग होती है। साल 2019 में सऊदी अरब ने हज और उमराह से करीब 12 बिलियन डॉलर की आय अर्जित की थी। यही वजह है कि सऊदी अरब ने रियल एस्टेट निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
निष्कर्ष
सऊदी अरब के इस कदम से न केवल भारतीय हिंदुओं बल्कि सभी धर्मों के विदेशी निवेशकों को एक बड़ा मौका मिलेगा। यह सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों को आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।