महीनो पहले की थी आत्महत्या , अंतिम संस्कार में पहचान बनी अर्चन

Saudi Arab – किसी भी खाड़ी देश में विदेशी कामगार का अस्तित्व या उसकी पहचान वीजा (इकामा) पर आधारित होता है, काम से लेकर घर तक यहां तक कि मौत तक की पहचान वीजा से होती है. हलाकि कई बार ऐसा होता है की आपका इकामा ख़तम हो जाता है यानी की आपके इकामा की वैद्यता चली जाती है। तो आप किसी ऐसे दोस्त से मदद मांग लेते है जिसके पास वैध वीजा हो, पैसे भेजने या कुछ भारतीयों के लिए घर किराए पर लेने के लिए मदद लेना आम बात है लेकिन क्या आप जानते है यह आपके लिए एक गंभीर पहचान का मुद्दा बन सकता है। ठीक ऐसा ही हुआ है भारतीय प्रवासी के साथ।

इकामा गलत होने की वजह से खोया पहचान

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दरसल 39 साल के पट्टनरेड्डी हनीफ खान ने अपने जीवन के दौरान कभी नहीं सोचा होगा की उनका मृत शरीर पहचान का मोहताज बन जायेगा वो भी सिर्फ इसलिए क्यूंकि उनका इकामा खतम हो चूका था और उन्होंने किराय पर मकान लेने के लिए अपने दोस्त से मदद ली थी। एपी के अन्नामय्या जिले में तंबल्लापल्ली मंडल के मूल निवासी हनीफ खान का जीवन रियाद में ठीक चल रहा था और उन्होंने कई नौकरिया करने की कोशिश की, साथ ही वह जैकपॉट या सीधे शब्दों में कहे तो लॉटरी में विश्वास रखते थे जिसकी वजह से वह थाईलैंड लॉटरी के आदी हो गए, थाईलैंड लॉटरी खेलना एक नकारात्मक आदत है एशियाई प्रवासी इस क्षेत्र में रहते हैं, फिर भी ऐसा लगता है कि उनकी लॉटरी में कोई जैकपोट नहीं लगी ।

हनीफ खान ज्यादातर ड्राइवर के रूप में काम करते थे लेकिन जब उसका इकामा समाप्त हो गया था, तो उन्हें उसके नियोक्ता द्वारा फरार घोषित कर दिया गया था, इस प्रकार वह अवैध हो गए और सऊदी अरब में कानूनी रूप से हनीफ खान मौजूद नहीं था। हनीफ खान ने बिना किसी उचित नौकरी और लॉटरी के दुर्भाग्य के उसने जीवन से निराश होकर पिछले साल 22 अक्टूबर को रियाद के नसीम जिले में अपने कमरे में आत्महत्या कर ली। पड़ोसियों ने क्षत-विक्षत शरीर से निकलने वाली दुर्गंध को महसूस किया और घर के मालिक को सूचित किया जिन्होंने पुलिस और सुरक्षा बलों को सूचित किया, जिन्होंने दरवाजा खोला और मृत शरीर पाया।

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फ़ोन का लॉक खुलने के बाद हुई पहचान

हनीफ खान जिस कमरे में रहता था और जहां मरा था वह एक अन्य भारतीय शकीब के नाम पर leased था , जब पुलिस ने शकीब के प्रायोजक से संपर्क किया तो पता चला कि शकीब जिंदा है और काम कर रहा है। बायोमीट्रिक पहचान के बाद हनीफ खान की पहचान सामने आई, लेकिन पासपोर्ट नंबर में गड़बड़ी के कारण उसका पता लगाने के रास्ते बंद रहे। कमरे में पाया गया मोबाइल डिवाइस स्क्रीन लॉक था और हालांकि बाद में फोन खोला गया था और जाने-माने भारतीय समुदाय के कार्यकर्ता सिद्दीक तुवूर ने अंतिम डायल किए गए नंबरों पर कॉल किया गया , जिसमें एक व्यक्ति ने व्यक्ति ने जवाब दिया और खुद को हनीफ खान के भाई के रूप में बताया। वह आंध्र प्रदेश का तिरुपति शहर का था । उसने सिद्दीक को अपने दिवंगत भाई की पासपोर्ट कॉपी और अन्य विवरण भी प्रदान किया। आप ऐसी गलती ना करे इकामा ख़त्म होने पर तुरंत उसे reneu कराय।

 

 

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