Saudi Arab: सऊदी अरब की रियाद क्रिमिनल कोर्ट ने सोमवार, 30 दिसंबर को भारतीय नागरिक अब्दुल रहीम के मामले की सुनवाई को एक बार फिर स्थगित कर दिया। यह फैसला उनके 18 साल लंबे कानूनी संघर्ष में एक और चुनौती बनकर सामने आया।
कोर्ट ने मामले को 50वीं बार टाला है और अब अगली सुनवाई 15 जनवरी 2025 को होगी। पहले यह सुनवाई 12 दिसंबर को तकनीकी कारणों से स्थगित की गई थी, और सोमवार को इसे अंतिम निष्कर्ष के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, अदालत ने “मामले के और अध्ययन की आवश्यकता” बताते हुए इसे बिना किसी निर्णय के फिर से स्थगित कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
केरल के कोझिकोड के रहने वाले ऑटो चालक अब्दुल रहीम 2006 में बेहतर कमाई के लिए सऊदी अरब गए थे। वहां उन्होंने सऊदी नागरिक अब्दुल्ला अब्दुर्रहमान अल शाहरी के लिए ड्राइवर के रूप में काम शुरू किया। उनकी ज़िम्मेदारी अब्दुल्ला के विकलांग बेटे अनस अल शाहरी की देखभाल करना भी थी।
एक दिन गाड़ी चलाते समय, लड़के को सांस लेने में मदद करने वाला उपकरण गलती से कार के अंदर गिर गया। इसके चलते लड़के की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद रहीम पर हत्या का आरोप लगाया गया और उन्हें सऊदी कानून के तहत मौत की सज़ा सुनाई गई।
कानूनी संघर्ष और सजा में बदलाव
दुर्घटना के बावजूद, रहीम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई। बाद में, लड़के के परिवार ने खून के पैसे (ब्लड मनी) स्वीकार कर ली, जिससे उनकी सजा कम कर दी गई।
हालांकि, अब भी एक सार्वजनिक अपराध के मामले में मुकदमा चल रहा है और रहीम को रिहाई नहीं मिल पाई है। 2 जुलाई को उनकी मौत की सजा कम कर दी गई थी, लेकिन उनकी रिहाई अब भी अधर में लटकी है।
दुनियाभर से समर्थन
दुनियाभर के मलयाली समुदायों ने उनकी मदद के लिए 15 मिलियन सऊदी रियाल (करीब 34 करोड़ रुपये) जुटाए। इसे केरल के इतिहास में सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग प्रयास माना जा रहा है। यह रकम 23 मई को भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा स्थापित खाते में जमा कराई गई थी।
रियाद में भारतीय दूतावास ने उनकी भारत वापसी के लिए सभी जरूरी दस्तावेज तैयार कर लिए हैं। अब्दुल रहीम कानूनी सहायता समिति भी उनकी रिहाई के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए है।
परिवार की उम्मीदें और भावनात्मक संघर्ष
रहीम की मां फ़ातिमा ने अपने बेटे के लिए गहरी चिंता और दुख व्यक्त किया है। वह उनसे मिलने सऊदी अरब भी गईं, लेकिन रहीम ने अपनी मां से मिलने से इनकार कर दिया। परिवार ने इस संघर्ष से जूझते हुए बार-बार उम्मीद जताई है कि रहीम जल्द घर लौट सकेंगे।
नतीजा अधर में
अब्दुल रहीम का मामला केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस संघर्ष की कहानी है, जो न्याय और मानवता के बीच संतुलन की कमी को दिखाती है। अब उनकी अगली सुनवाई पर नजरें टिकी हैं, जिससे इस 18 साल लंबे संघर्ष का अंत हो सके।