Indian Rupee: सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.84 पर गिर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मजबूत डॉलर, भारत की आर्थिक सुस्ती और विदेशी पूंजी के कमजोर प्रवाह के चलते हुई है।
आरबीआई का हस्तक्षेप
हालांकि पूरे दिन रुपया दबाव में रहा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डॉलर की बिकवाली कर नुकसान को कुछ हद तक कम कर दिया। व्यापारियों का कहना है कि RBI अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले रुपये को 86 के स्तर से नीचे रखना चाहता है।
डॉलर की ताकत का असर
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 0.3% गिरकर 108.5 पर आ गया, लेकिन इसका स्थानीय मुद्रा पर कोई खास असर नहीं पड़ा। विदेशी बैंकों और उनके संरक्षक ग्राहकों की ओर से डॉलर की भारी मांग के चलते रुपये पर दबाव बना रहा।
विदेशी निवेश और बाजार की स्थिति
- जनवरी में विदेशी निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और बॉन्ड्स में से 1.1 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
- भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट रही। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों दिन के अंत में 1.6% नीचे बंद हुए।
आगे क्या?
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक नीतियों और डॉलर की मजबूती के चलते डॉलर इंडेक्स 110 तक जा सकता है। इसके चलते रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।
प्रवासियों पर असर
रुपये की इस कमजोरी का सीधा असर विदेशों से पैसे भेजने वाले प्रवासी भारतीयों पर पड़ सकता है। हालांकि, डॉलर की मजबूती के चलते उन्हें भेजी गई रकम पर थोड़ी राहत मिल सकती है।
इस स्थिति में, निवेशकों और आम जनता को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बाजार की अस्थिरता निकट भविष्य में जारी रह सकती है।