Loan Default: आज के समय में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर कोई लोन लेता है ऐसे में लोन लेना और इसका भुगतान करना आसान प्रोसेस लगता है लेकिन अगर हम बिना कोई प्लैनिंग बनाए लोन लेते हैं तो ये हमारे लिए मुश्किलें पैदा करता है। कई बार ऐसा होता है कि आप लोन या EMI का पेमेंट समय से नहीं कर पाते है,जिसके चलते लेंडर आपको डिफॉल्टर का लेबल दे देता है। यह जानना जरूरी है कि डिफॉल्ट का लेबल लगने के बाद आगे आने वाले टाइम में ये आपके क्रेडिट स्कोर पर क्या असर डाल सकता है और लोन लेने के लिये आपको किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि आप लोन लेने के बाद एक से ज्यादा बार EMI नहीं चुकाते हैं तो लोन देने वाला आपको डिफॉल्टर लिस्ट में डाल सकता है, और दूसरे क्रेडिट ब्यूरो में भी रिपॉर्ट कर सकता है। ऐसे में आपको कुछ लेंडर की तरफ से पेमेंट के लिए एक्स्ट्रा समय भी मिल सकता है। लेकिन वह आपसे लेट फीस भी वसूलते हैं इससे आपको अपना क्रेडिट स्टेटस सुधारने का एक मौका मिलता है।
ऐसे बढ़ सकता है लोन का पेमेंट अमाउंट
सभी बैंक और एनबीएफसी (NBFC) टाइम पर EMI पेमेंट ना होने पर उसकी रिपॉर्ट सिबिल (CIBIL) या अन्य क्रेडिट ब्यूरो को दे देती है। इससे आपको सिबिल स्कोर खराब होती है, जो आपके फ्यूचर में लोन लेने के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। बैलेंस में लेट फीस, पेनल्टी, कोर्ट फीस जैसे खर्च अनसेटल्ड लोन जुड़ जाते हैं, जिसकी वजह से आपने जो लोन लिया था उसका पेमेंट अमाउंट कई ज्यादा बढ़ जाता है।
यदि आप समय पर लोन नहीं देते हैं और आपके कारण लेंडर आपसे लोन का पेमेंट लेने में नाकाम हो जाता है तो, वह वसूली करने के लिए कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है जिससे आपके समय के साथ साथ पैसा भी बर्बाद होगा।
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डिफॉल्ट के बाद ऐसे ले लोन
यदि किसी कारणवश आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो गया है और आप लोन लेने में असमर्थ हैं तो किसी अच्छे क्रेडिट स्कोर गारंटेड के साथ लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने इस लोन पर डिफॉल्ट किया तो बकाया बैलेंस गारंटर से वसूला जाएगा।
वही इसके अलावा आप अपनी किसी एसेट को गिरवी रख कर लोन ले सकते हैं। जैसे प्रोपर्टी, सोना आदि, इससे लेंडर आपको आसानी से लोन दे सकता है। लेकिन यदि आप लोन चुकाने में असमर्थ होते हैं तो गिरवी रखी चीज एसेट लेंडर की हो जाएगी।