UAE: अबू धाबी की सबसे बड़ी अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन ने एक पुराने कर्मचारी को 59,000 दिरहम का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। वजह? उसने अपने 13 साल के काम के दौरान कभी छुट्टी नहीं ली थी।
ये मामला उस कर्मचारी से जुड़ा है जो 2009 से लेकर जून 2022 तक एक ही कंपनी में काम करता रहा। जब उसने नौकरी छोड़ी, तो उसने दावा किया कि उसे कभी छुट्टी नहीं मिली और उसने उसके बदले पैसा मांगा। कंपनी कोई सबूत नहीं दे पाई कि उसने छुट्टी ली थी या उसे उसके पैसे दिए गए थे। इसलिए कोर्ट ने कर्मचारी के हक में फैसला सुना दिया।
शुरुआत में सुनाई ये फैसला
शुरुआत में निचली अदालत ने कहा था कि सिर्फ दो साल की छुट्टी के लिए ही पैसे मिलेंगे। लेकिन बाद में कोर्ट ऑफ कैसेशन ने ये फैसला बदल दिया और पूरे 13 साल की छुट्टी का पैसा देने का आदेश दिया।
कानूनी फर्म हबीब अल मुल्ला एंड पार्टनर्स के संस्थापक डॉ. हबीब अल मुल्ला ने कहा कि ये फैसला एक मिसाल बन गया है। अब कंपनियों को साफ-साफ रिकॉर्ड रखना पड़ेगा कि किस कर्मचारी ने कब छुट्टी ली, नहीं तो उन्हें भारी भरकम रकम चुकानी पड़ सकती है।
यूएई में नौकरी से जुड़े कानून में बड़ा बदलाव
दुबई की लीगल फर्म Kochar & Co. के सीनियर वकील नवनीत मट्टा ने कहा कि ये फैसला यूएई में नौकरी से जुड़े कानून में एक बड़ा बदलाव लाया है। उन्होंने बताया कि कानून के मुताबिक, नौकरी छोड़ते वक्त हर कर्मचारी को अपनी बची हुई छुट्टियों के बदले पैसा मिलना चाहिए।
इस केस में कोर्ट ने साफ कहा कि यह कंपनी की जिम्मेदारी थी कि वो साबित करे कि कर्मचारी ने छुट्टी ली थी या उसे इसके पैसे दिए गए थे। लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ एक बार छुट्टी दिख रही थी, और पैसे का भी कोई सबूत नहीं था। इसलिए कोर्ट ने कर्मचारी के हक में फैसला सुनाया और उसका आखिरी बेसिक सैलरी के हिसाब से मुआवज़ा तय किया।
कंपनियों के लिए एक चेतावनी
मट्टा ने ये भी कहा कि ये फैसला कंपनियों के लिए एक चेतावनी है। छुट्टियों का सही हिसाब रखना और समय पर निपटान करना अब सिर्फ एक अच्छी आदत नहीं, बल्कि कानूनी ज़रूरत है। वरना कंपनियां खुद को मुश्किल में डाल सकती हैं।
आखिर में बात बस इतनी है अगर रिकॉर्ड सही नहीं रखा गया, तो कर्मचारी का हक छीना नहीं जा सकता। कोर्ट ने यही साफ कर दिया।